दिल्ली(विश्व परिवार)। तीर्थकर जन्म मात्र मरण करने के लिए प्राप्त नहीं होता, इस धरती ही तीर्थकर भगवन् ऐसे महापुरुष होते हैं जो जन्म लेकर मरण प्राप्त नहीं करते, वे तीर्थकर भगवान् जन्म लेकर जन्म और मरण दोनों को ही नाश करते हैं। ध्यान रखना, तीर्थकर भगवान का जन्म स्वयं के कल्याण हेतु तो होता ही है अरे, तीर्थकर के जन्म लेने मात्र से ही तीनों लोकों के जीवों का कल्याण हुआ करता है। इसीलिए तीर्थकर का जन्म मात्र जन्म नहीं होता वह “जन्म कल्याणक” के रूप में हमें प्राप्त होता है। राजधानी दिल्ली में हो रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में आचार्य श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज ने ऐसा महामांगलिक सदुपदेश जन्म कल्याणक के दिन धर्मसभा के मध्य प्रदान किया।
आचार्य श्री ने जन्म की भी महत्यता बताते हुए कहा- तीर्थकर भगवान जिन माता-पिता से जन्म प्राप्त करते हैं वे माता-पिता तो अतिशय पुण्यशाली होते ही हैं। बन्धुओं ! वर्तमान समय में भी जो माता-पिता किसी संतान को जन्म देते हैं वे माता-पिता भी पुण्यशाली होते हैं। ध्यान रहे, “पति-पत्नी बनना सौभाग्य नहीं है, माता-पिता बनना ही सौभाग्य है”
जब तक आपको कोई पिता कहने वाला नहीं जन्म लेता है तब तक घर में सब कुछ होते हुए भी घर सूना ही रहता है। अपने जीवन में एक बात हमेशा ध्यान रखना – ” आपके घर में अथवा अन्य किसी भी घर में कोई भी संतान जन्म ले तो आप गर्भपात जैसा कु-कल्प कभी मत करना। आपके द्वारा किया गया एकबार गर्भपात आपको भविष्य में अनेकों बार गर्भपात पूर्वक मरने को मजबूर कर देगा। कभी जन्म मिल भी गया तो आपको कभी संतान का सुख नहीं मिल सकता। इसीलिए आज जन्मकल्याणक के अवसर पर संकल्प लेकर जाना कि मैं कभी भी गर्भपात न तो करूंगा, न ही कराऊंगा और न ही करते हुए की अनुमोदना करुगा पूर्व में कभी गर्भपात जैसा दुष्कृत्य हुआ हो तो आज ही उसकी आलोचना करने भविष्य में न करने का संकल्प ग्रहण कर लेना।
भावलिंगी संत आचार्यश्री के ससंघ सानिध्य में 13 दिसम्बर को पंच कल्याणक महोत्सव में जन्म कल्याणक सम्पन्न हुआ। प्रातः काल की मंगल बेला में तीर्थकर आदिनाथ का जन्म कल्याणक उत्सव दिलाया गया । मध्याहून बेला में 24 अश्व- रथों पर महोत्सव में बने सभी पात्रों को बैठाकर जन्माभिषेक का विशाल जुलूस राजधानी दिल्ली के मुख्य मार्गों से होते हुए SAB स्कूल ग्राउण्ड में निर्मित पांडुक शिला पर पहुंचा, वहाँ सौभाग्यशाली पात्रों द्वारा जन्माभिषेक सम्पन्न हुआ। तीर्थकर बालक की अन्न प्रासन’ क्रिया के उपरान्त सध्यावेला में तीर्थकर ऋषभदेव स्वामी का बाल्य कान का दर्शन कराया गया। आज 14 दिसम्बर को दीक्षा कल्याणक के साथ मनाया जाएगा भावलिंगी संत का 27 वां दीक्षा दिवस।