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स्कूल छूट जाते हैं पर,, जीवन की अन्तिम श्वास तक..इम्तेहान कहाँ खत्म हो पाते हैं..!

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हैदराबाद(विश्व परिवार)। परीक्षाएं मानवीय जीवन में जन्म से लेकर, अन्तिम श्वास तक कहाँ खत्म हो पाती है। बड़े बड़े महापुरुषों को भी समय, समाज और कर्म ने इम्तेहान लेने से नहीं बख्शा, फिर हम आप कौन सी खेत की मूली है-? चूंकि परीक्षाओं के बिना काम भी नहीं चलता,, परीक्षा के दो मार्ग है – एक सन्यास का मार्ग और दूसरा संसार का मार्ग। दोनों मार्ग कठिन है और परीक्षा देना भी उससे कठिन काम है। सन्यास के मार्ग की परीक्षा की सफलता,, भगवान बनाती है और संसार के मार्ग की परीक्षा की सफलता आदमी को इन्सान,, और इन्सान से इन्सानियत का पाठ पढ़ना सिखा देती है। इसलिए परीक्षा देने से घबराओ मत!
सभी परीक्षाओं में सोचना चाहिए कि यह हमारी विकास यात्रा में, एक मील का पत्थर है। इसलिए बिना टेन्शन, तनाव से मुक्त होकर आनंद प्रेम उत्साह के साथ परीक्षा देनी चाहिए…!!!।

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