नई दिल्ली(विश्व परिवार)। लाल किले की प्रचीर से पीएम मोदी ने कहा कि देश में अभी तक कम्युनल सिविल कोड लागू है, जिसे सेक्युलर सिविल कोड में बदलने की कोशिश की जाएगी. पीएम मोदी का सीधा संकेत यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर था. पीएम मोदी के कम्युनल कोड वाले बयान पर देश का सियासी पारा चढ़ने लगा है. आइए जानते हैं कि क्या है सेकुलर सिविल कोड और इसके लागू होने पर क्या-क्या चीजें बदल जाएंगी।
समान नागरिक संहिता(UCC) क्या है?
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मतलब एक ऐसे कानून से है जो सभी नागरिकों पर, चाहे उनकी धर्म या जाति कुछ भी हो, एक समान रूप से लागू हो. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, गोद लेना, और संपत्ति के मामले में सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून हो।
वर्तमान में क्या कानून?
अभी भारत में विभिन्न धर्मों के लिए अलग-अलग पर्सनल कानून हैं. जैसे कि हिंदू मैरिज एक्ट हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायियों पर लागू होता है, जबकि मुस्लिमों, ईसाइयों और पारसियों के लिए उनके अपने अलग पर्सनल लॉ हैं. ऐसी स्थिति में यदि देश में यूसीसी लागू होता है तो सभी कानून निरस्त हो जाएंगे और संपत्ति, गोद लेने, उत्तराधिकार, तलाक और विवाह जैसे मामलों में एक ही कानून लागू होंगे।
पहले भी पीएम मोदी यूसीसी पर दे चुके हैं बयान
यह पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी ने समान नागरिक संहिता की वकालत की है. 2023 में मध्य प्रदेश की एक रैली में भी उन्होंने यह मुद्दा उठाया था, जहाँ उन्होंने कहा था, “परिवार में एक सदस्य के लिए एक नियम हो और दूसरे के लिए दूसरा नियम हो, तो क्या वह घर चल सकता है?”
समान नागरिक संहिता की आवश्यकता क्यों?
भारत में विभिन्न धर्म और संस्कृतियों के लोग एक साथ रहते हैं. पर उनके निजी मामलों में अलग-अलग कानून लागू होते हैं. यही व्यवस्था अक्सर विवाद का कारण बनती है. समान नागरिक संहिता लागू होने से विभिन्न धर्मों के कानूनों में मौजूद असमानताओं को समाप्त किया जा सकता है. जैसे- हिंदू महिलाओं का संपत्ति में अधिकार हो सकता है. पर मुस्लिम महिलाओं के पास गोद लेने का अधिकार नहीं है।
आइए जानते हैं कि यूसीसी लागू होने पर क्या-क्या बदलेगा?
कम उम्र में लड़की की शादी अपराध
18 साल की लड़की और 21 साल के लड़के की शादी ही कानूनन सही है. सभी धर्मों में शादी की यही उम्र मानी जाती है. पर मुस्लिम धर्म में कम उम्र में भी लड़कियों की मैरिज करा दी जाती है. जिसका असर लड़की की सेहत पर पड़ता है। यूसीसी लागू होने के बाद ऐसा नहीं किया जा सकता है।
एक जैसे होंगे तलाक के नियम
वर्तमान में हिंदू, सिख, और ईसाई धर्मों में तलाक के नियम अलग-अलग हैं. हिंदुओं में तलाक के लिए 6 महीने, जबकि ईसाइयों में दो साल का समय लगता है. मुस्लिमों में तलाक का नियम सबसे अलग है।
मुस्लिम महिलाएं भी गोद ले पाएंगी बच्चा
मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिम महिलाएं बच्चा गोद नहीं ले सकतीं, जबकि हिंदू महिलाएँ यह कर सकती हैं।
बहुविवाह पर लग सकेगी रोक
सभी धर्मों में एक ही शादी का प्रावधान है. पत्नी की मौत या तलाक के बाद ही पुरुष दूसरी शादी कर सकते हैं. पर मुस्लिम धर्म में एक पुरुष चार शादियां कर सकता है. यूसीसी लागू होने पर बहुविवाह प्रथा पर रोक लगेगी।
सभी धर्म में संपत्ति में अधिकार का समान कानून
मौजूदा कानून के मुताबिक, हिंदू लड़कियों का अपने पैरेंट्स की संपत्ति में बराबर हक होता है. पारसी धर्म में ऐसा नहीं है. वहां यदि लड़की दूसरे धर्म के पुरुष से मैरिज करती है तो उसे संपत्ति से बेदखल किए जाने का प्रावधान है. यूसीसी आने पर सभी धर्मों में संपत्ति से जुड़े एक जैसे नियम काम करेंगे।
यूसीसी को लेकर संविधान क्या कहता है?
समान नागरिक संहिता को लेकर भारत के संविधान में भी देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून की बात कही गई है. इसका अनुच्छेद 44 नीति निर्देशों से संबंधित है, जिसका उद्देश्य संविधान की प्रस्तावना में दिए गए धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गठराज्य के सिद्धांत का पालन करना है. अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि सभी नागरिकों के लिए यूसीसी बनाना सरकार का दायित्व है।
क्यों हो रहा है यूसीसी का विरोध?
मुस्लिम समुदाय यूसीसी को धार्मिक मामलों में दखल के तौर पर देखते हैं. दरअसल, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तहत शरीयत के आधार पर मुस्लिमों के लिए कानून तय होते हैं. यूसीसी का विरोध करने वाले मुस्लिम धर्मगुरुओं का मानना है कि यूसीसी की वजह से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का वजूद खतरे में पड़ जाएगा. जो सीधे तौर पर मुस्लिमों के अधिकारों का हनन होगा. मुस्लिम धर्मगुरुओं का कहना है कि शरीयत में महिलाओं को संरक्षण मिला हुआ है. इसके लिए अलग से किसी कानून को बनाए जाने की जरूरत नहीं है।
ओवैशी ने जताया विरोध
स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी की ओर से यूनिफॉर्म सिविल कोड की वकालत हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी को जरा भी पसंद नहीं आई है और उन्होंने इसे सभी भारतीयों पर हिंदू मूल्यों और परंपराओं को थोपने की कोशिश का बीजेपी पर आरोप लगा दिया है।
मोदी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट
यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान आचार संहिता पिछले कई सालों ने मोदी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है. लोकसभा चुनाव के दौरान भी UCC ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं. लोकसभा में सीटें कम होने के बाद भी चर्चा तेज होने लगी कि मोदी 3.0 में UCC को मंजूरी नहीं मिल सकती है. हालांकि स्वतंत्रता दिवस पर UCC का जिक्र करके पीएम मोदी ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि बीजेपी इतनी आसानी से हार नहीं मानेगी. मगर कई विपक्षी दलों ने इस पर आपत्ति दर्ज करवाई है।