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हजारों लोग जब एक साथ बैठकर धर्म की आराधना विश्वशांति के उद्देश्य को लेकर करते है तो उन मंत्रों का उच्चारण बहूत बड़े शातिशय पुण्य का कारण बनता है:- श्रमण मुनि श्री समता सागर जी महाराज

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रायपुर (विश्व परिवार)। मुनि श्री समतासागर महाराज ने समवसरण विधान के द्वितीय दिवस श्री आदिनाथ दि. जैन मंदिर मालवीय रोड के प्रागंण में प्रातःकालीन धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हजारों लोग जब एक साथ बैठकर धर्म की आराधना विश्वशांति के उद्देश्य को लेकर करते है तो उन मंत्रों का उच्चारण बहूत बड़े शातिशय पुण्य का कारण बनता है, सामुहिक संदेश देने के लिये धर्म सभा होती है जिस प्रकार से दुनिया की आबादी तो बड़ रही है लेकिन आज धर्म के संस्कार घटते जा रहे है उन्होंने एक उदाहरण देते हुये कहा कि शोसल मीडिया पर एक बीडीओ कार्यकर्ता ने दिखाया जिसमें सात आठ साल के बच्चे ने मां से मोवाईल की जिद्द की न दैनें पर वह अपने क्रिकेट के बल्ला से मां के सिर पर प्रहार कर दिया मां तड़पी लेकिन उस बच्चे को मां से कोई मतलब नहीं उसने मोवाईल उठाया और गेम खेलने लगा मुनि श्री ने कहा कि इस प्रकार बच्चे उद्दंडता सीख रहे है और उनसे संस्कार गायब होते जा रहे है।

मुनि श्री ने कहा धर्मसभा का एक ही उद्देश्य रहता है कि जो लोग धर्म से विमुख होते है वह भी ऐसे धार्मिक आयोजनों के माध्यम से मंदिर जी में तथा महाराज जी के पास आते है और कुछ न कुछ संस्कार लेकर ही जाते है, जैन एवं जैनेत्तर बंधु एक साथ बैठकर धर्म की चर्चा को सुनते है इससे अहिसा धर्म का प्रचार प्रसार होता है, मांसाहारी भी जब धर्मोउपदेश को सुनते है,उनकी भी मानसिकता बदलती है और वह मांसभक्षण का त्याग कर सामुहिक रुप से शाकाहार का नियम लेते है।मुनि श्री ने कहा आप सभी लोग विधान में वैठकर भगवान की पूजा के पश्चात विसर्जन करते है और भावनाभाते है,”सुखी रहे सव जीव जगत में, कोई कभी न घवरावे बैर पाप अभिमान छोड़ सब नित्य नये मंगल गावे” जब हजारों लोग एक साथ बैठकर सामुहिक रुप से भक्ती, आरती, स्वाध्याय, प्रवचन और प्रार्थना करते है तो उन मंत्रों का उन शव्दों का सभी पर विशेष असर पड़ता है इसे विज्ञान ने भी स्वीकार किया है अभी आप लोग समवसरण में बैठकर धर्मो उपदेश को सुन रहे है जब कभी भी भविष्य में तीर्थंकर भगवान का समवसरण लगे तो इतना सातिशय पुण्य इकटठा कर लो उस सभा में पहुंचने का सौभाग्य मिल जाऐं। मुनि श्री ने कहा कि अक्सर हम लोग आचार्य श्री से पूंछा करते थे कि आचार्य श्री आपका जन्म कर्नाटक में हुआ नवमी कक्षा तक पड़ाई हुई और राजस्थान में आपकी दीक्षा हुई और मध्यप्रदेश को आपने अपनी साधना स्थल बना लिया और आपका जिनसे कभी भी कोई भी परिचय नहीं था उन सभी को भीआपने अपना बना लिया तो आचार्य श्री कहा कि ये परिचय अपरिचय तो हमें पता नहीं,लेकिन पूर्व जन्म में अथवा पूर्व भवों में हम सभी का एक दूसरे से परिचय अवश्य रहा होगा तभी तो एक साथ मिले है आज गुरु और शिष्य का अंतर भले ही दिख रहा है मेंने आपको दीक्षा दी आप लोगों ने दीक्षा ली यह अलग अलग भले ही दिख रहा है लेकिन भवभवांतर से अपना सभी का सहयोग किसी न किसी रूप में एक साथ चला आ रहा है, तब हमने गुरुदेव से कहा कि आपका यह पुण्य ऐसे ही बड़ता जाऐ जब आप किसी भव में तीर्थंकर बनें तो हम सभी आपके समवसरण में विराजमान हों तो आचार्य श्री ने कहा जैसी भावना आप लोग भाते हो बेसी भावना में भी अपने गुरुदेव के लिये रखता हूं।

मुनि श्री ने कहा कि अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर तो साक्षात समवसरण विपुलाचल पर्वत से उपदेश देकर पावापुर से मोक्ष को चले गये हों आज साक्षात समवसरण हमारे तुम्हारे सामने भले ही नहीं हों लेकिन ये मंदिर और ये जिनविंव साक्षात समवसरण के समान ही ऐतिहासिक धरोहर है अगर ये मंदिर न होते तो हमारा यह संदेश घर घर तक नहीं पहूंच पाता। मुनि श्री ने कहा कि आप व्यक्तीगत रुप से कितने भी बड़े आयोजन करा लो सारी समाज एक साथ एकत्रित हो जाऐ यह जरूरी नहीं लेकिन धार्मिक आयोजन हो और उसमें मुनिसंघ आ जाऐ तो आपका भले ही आपके पास निमंत्रण जाऐ या न जाये समाज तो पता लगाकर आ ही जाती है भले ही स्थान कितनी ही दूर क्यों न हो वह अपने साधन से चला ही आता है जिसके पास कार है वह कार से और जिसके पास कार नहीं है वह पांव पांव “णमोकार” के माध्यम से चला आता है। इस अवसर पर मुनि श्री पवित्रसागर महाराज ने कहा कि विधान के लिये स्थान और विशेष परिधान होंना चाहिये, धार्मिक महोत्सव आपको धर्मात्मा तथा सामाजिक व्यवस्था से जोड़ते है उपरोक्त जानकारी राष्ट्रीय प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी एवं स्थानीय प्रचार प्रमुख अतुल जैन गोधा ने देते हुये बताया मुनिसंघ की आहार चर्या का सौभाग्यनिर्यापक मुनि श्री समतासागर महाराज को पड़गाहन कर आहार कराने का सौभाग्य श्री मति दीप्ती संजय जैन प्रेमी परिवार,नवीन मोदी कविता मोदी, तथा श्री मति संध्या अजीत जैन पारस हेन्डलूम रायपुर को प्राप्त हुआ तथा मुनि श्री पवित्रसागर महाराज को आहार कराने का सौभाग्य ज्योति अनुराग जैन तथा बड़े जैन मंदिर की महिलामंडल को मिला प्रातःकाल बाल ब्र. धीरजभैया राहतगड़ तथा संगीत कार अनिल जैन वर्धमान भोपाल ने संगीत के साथ मधुर कंठ से विधान संपन्न कराया 19 मार्च वुद्धवार को विधान का समापन होगा।

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