(विश्व परिवार)। जीएसटी सलाहकार सुखनंदन साहू ने बताया किस तरह टैक्स का भार आम जनता पर पड़ रहा है , उदाहरण के रूप में जब आप गाड़ी खरीदने जाते है तो उस गाड़ी की वास्तविेक कीमत पर 28 प्रतिशत जीएसटी देना होता है जिसमें 14 प्रतिशत केन्द्र सरकार और 14 प्रतिशत राज्य सरकार को मिलता है और अगर आप स्कूटी या बाइक खरीदते है तो उस पर भी आपको 28 प्रतिशत जीएसटी देना होता है। 28 प्रतिशत जीएसटी लगने के बाद गाड़ियो मे 17 प्रतिशत रोड सेस अलग से लिया जाता है जिसे आप रोड टैक्स भी कह सकते है और 1 प्रतिशत टैक्स टीसीएस के रूप में देना होता है जिसे हम टैक्स कलेक्टेट एट सोर्स भी कहते है, गाड़ी खरीदते वक्त कार इनसोरेन्स लेना पड़ता है जिस पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है। और जब अपनी गाड़ी का पॉल्यूसन सर्टिफिकेट लेने जाते है तब भी उस पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी देना होता है और सूची लम्बी होती जाती है। इन सब के बाद जब आप अपनी गाड़ियो में पेट्रोल या डीजल डलवाते है तो ज्यादातर राज्यो मे 30 से 50 प्रतिशत तक एक्साइज डयूटी और वैट लगता है और ये वैट आपकी राज्य सरकार वसूलती है। और इसके बाद आपको हर बार कार की सर्विस कराने पर 18 प्रतिशत जीएसटी अलग से देना होता है और किसी हाइवे पर टोल टैक्स देने के बाद खराब सड़क और गढढो के कारण गाड़ी खराब हो जाये तो उसको ठीक करने का टैक्स। अगर इन सड़को की वजह से आपकी कार का टायर खराब हो जाये तो नया टायर खरीदने पर 28 प्रतिशत टैक्स देना होता है। और दुर्भाग्यवश इन सड़को पर किसी का एक्सीडेंट हो जाये तो उसे अपने इलाज के लिये दवाइयो पर 5 से 12 प्रतिशत तक टैक्स देना होता है। और इतना टैक्स देने के बाद भी आपको जो चलने के लिए सड़के होगी वो अच्छी होगी और उनमें गढढे नही होंगे इसकी कोई गारंटी नहीं।