मॉस्को (विश्व परिवार)। रूस और यूक्रेन के बीच ढाई साल से जारी युद्ध अब मोड़ पर है। पहली बार रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने खुले तौर पर यूक्रेन को शांति वार्ता का प्रस्ताव दिया है। इस पहल को घरेलू असंतोष, सैनिकों की अनुशासनहीनता, आर्थिक दबाव और अमेरिकी दबाव के बीच उठाया गया कदम माना जा रहा है। पुतिन ने एकतरफा ईस्टर युद्धविराम के बाद दूसरी बार जंग रोकने की पेशकश की है, जिस पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने सकारात्मक संकेत दिए हैं।
जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन नागरिक ठिकानों पर हमले रोकने के बदले में किसी भी संवाद के लिए तैयार है। अमेरिका और यूरोपीय देश लगातार दोनों देशों पर वार्ता का दबाव बना रहे हैं। खुद पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर बातचीत आगे नहीं बढ़ी, तो अमेरिका खुद को शांति प्रयासों से अलग कर लेगा।
इस शांति प्रस्ताव के पीछे रूस की कई समस्याएं दिखाई दे रही हैं—जैसे युद्ध की बढ़ती लागत, सैनिकों की कम होती संख्या, युवाओं में भर्ती को लेकर घबराहट, और पश्चिमी देशों द्वारा रूस की 300 अरब डॉलर की संपत्तियों की जब्ती। इन सब ने मिलकर पुतिन की रणनीति को प्रभावित किया है। हालांकि, जानकार मानते हैं कि पुतिन का यह कदम पूरी तरह से युद्ध खत्म करने की मंशा नहीं, बल्कि सैन्य और कूटनीतिक फायदे के साथ संतुलन बनाने की रणनीति हो सकता है।