केकड़ी (विश्व परिवार)। जब भक्ति की लहर आत्मा में उमड़ती है तो सब कुछ भूल जाते हैं बाह्य प्रक्रिया उसे बिल्कुल भी नजर नहीं आती है श्रद्धा से पाषाण में भी परमात्मा नजर आते हैं श्री कल्पतरु महामंडल विधान तीर्थंकर महावीर के अद्वितीय महिमा मंडल मंगल अघ्र्यो द्वारा पवित्र पूजा करने का एक मात्र उपाय है ।
बोहरा काॅलोनी स्थित शिवम वाटिका में आचार्य श्री इंद्रनंदी जी महाराज ससंघ एवं आर्यिका स्वस्ति भूषण माता जी के सानिध्य एवं विधानाचार्य कपिल भैया के निर्देशन में मय संगीत एवं साज बाज के साथ चल रहे कल्पद्रुम महामंडल विधान के अंतर्गत विधान में चौबीस तीर्थकरों की स्तुति करने पर ऐसा लगता है की संपूर्ण जैन दर्शन की आत्मा का सुख अनुभव हो रहा है इस अवसर पर आर्यिका माताजी ने कहा कि एक-एक नाम के मंत्र का जाप करने से कर्मों के बंधन ढीले पड़ते हैं । प्रातः जिनाभिषेक एवं शांति धारा एवं समवशरण में विराजित चतुर्दिशा में विराजमान श्री जी का मुनि आर्यिका ससंघ के सानिध्य में संपन्न किए गए ।
मीडिया प्रभारी रमेश बंसल ने बताया कि कल्पतरु महामंडल विधान के 800 अघ्र्य श्रीफल सहित श्री जी के समर्पित किए गए । समाज के अमरचंद चैरूका ने बताया कि मंगलवार को प्रातःआचार्य मुनि आर्यिका ससंघ के सानिध्य में कल्पतरु महामंडल विधान का समापन पूर्णाहुति एवं विश्व शांति कामना महायज्ञ संपन्न होगा । शाम को आरती भक्ति आनंद यात्रा सहित प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम संपन्न हुई।