रायपुर(विश्व परिवार)। वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा शुक्रवार को अरण्य भवन, नवा रायपुर के दंडकारण्य सभागार में वन अग्नि रोकथाम एवं प्रबंधन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्देश्य वन अग्नि से होने वाले खतरों को कम करने के लिए समन्वित प्रयासों को प्रोत्साहित करना था, जो जैव विविधता और वन-आश्रित समुदायों की आजीविका पर गंभीर प्रभाव डालते हैं। इस कार्यशाला में वरिष्ठ वन अधिकारी, सुरक्षा कर्मी, नीति निर्माता और विशेषज्ञों ने अपनी सहभागिता दी।
कार्यशाला में प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख वी. श्रीनिवास राव ने वन अग्नि प्रबंधन में समन्वित प्रयासों की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला छत्तीसगढ़ में वन अग्नि प्रबंधन की रणनीतियों को मजबूत करने और समन्वय स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इसी तरह पूर्व पीसीसीएफ डॉ. आर. के. सिंह ने वन अग्नि प्रबंधन में जागरूकता, तकनीकी नवाचार और समुदाय आधारित प्रयासों की भूमिका की महत्ता पर प्रकाश डाला। इंस्पेक्टर जनरल ऑफ फॉरेस्ट्स, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय राजेश एस. ने राष्ट्रीय वन अग्नि कार्ययोजना पर चर्चा की और छत्तीसगढ़ वन विभाग की राज्य कार्ययोजना के तहत किए गए प्रयासों की भी सराहना की।
इसके अतिरिक्त कार्यशाला में सुनील कुमार मिश्रा (एपीसीसीएफ) और प्रेम कुमार (एपीसीसीएफ) ने राज्य में वन अग्नि से जुड़ी विशिष्ट चुनौतियों और वामपंथी उग्रवाद के कारण होने वाली जटिलताओं पर विस्तृत चर्चा की। कार्यशाला में पुलिस और सुरक्षा बलों के प्रतिनिधियों ने सुरक्षा बलों और वन विभाग के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया और संवेदनशील क्षेत्रों में वन अग्नि जोखिम को कम करने के लिए संयुक्त रणनीतियों पर अपने-अपने विचार साझा किए। कार्यशाला के विभिन्न सत्रों में वन अग्नि शमन की उन्नत तकनीकी, सर्वाेत्तम प्रथाओं, और अग्नि निगरानी के नवाचारों पर विचार विमर्श हुआ। इस सत्र का संचालन पंकज राजपूत ने किया।