भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा को किया स्मरण..
रायपुर(विश्व परिवार)। श्री रावतपुरा सरकार यूनिवर्सिटी में विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया। आयोजन में यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो.एस.के सिंह, कुलसचिव डॉ.सौरभ कुमार शर्मा और मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी राजेश तिवारी ने अपने विचार व्यक्त किये।
प्रो.एस.के सिंह ने आदिवासी लोंगो की समाज एवं प्रकृति को दिए गए योगदान की सरहाना करते हुए बताया कि पृथ्वी का 20 प्रतिशत क्षेत्र अनुसूचित जनजातियों के द्वारा संचालित है और हमारे देश का 8 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ में लगभग 90 लाख जनसँख्या आदिवासियों की है इसलिए छत्तीसगढ़ में यूनिवर्सिटी की स्थापना का मुख्य उद्देश्य कम लागत में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। इसके साथ प्रो. सिंह ने कहा कि हमें उनके पारम्परिक जीवन और संस्कृति को जीवित रखते हुए जीवन की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयाश करना चाहिए।
सी.पी.आर.ओ राजेश तिवारी ने अपना व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए बताया कि आदिवासी लोगों का जीवन छत्तीसगढ़ में मुख्यता बस्तर संभाग के जगदलपुर और दंतेवाड़ा क्षेत्र में घने जंगलों के मध्य प्राकृतिक संपदा का उपयोग कर व्यतीत होता है। बैगा जनजाति के लोग हल्वी भाषा और प्रकृति से प्राप्त जड़ी बूटी जैसे हरश्रिंगार आदि का चिकत्सा के लिए उपयोग करते हैं और अपनी संस्कृति से रीतिरिवाज का आज भी सम्मान करते हैं।
कुलसचिव डॉ.सौरभ ने विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा को स्मरण करते हुए सभी को शुभकामनायें दी।
कार्यक्रम में विद्यार्थियों द्वारा छत्तीसगढ़ी लोकनृत्यों में सुआ, राउत नाचा, करमा, ककसार नृत्य और लोकगीत सोहर सवनाही की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का समन्वय डॉ सत्यज तिवारी और संचालन डॉ. सागर साहू द्वारा किया गया।