Home धर्म संयमित जीवन में ही सिद्धों की आराधना कल्याणकारी: उत्कर्ष सागर

संयमित जीवन में ही सिद्धों की आराधना कल्याणकारी: उत्कर्ष सागर

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  • पाठशाला महोत्सव में बोले बच्चे हमें मिलती धर्म के साथ संस्कारों की सीख

ललितपुर (विश्व परिवार)। सिद्धों की आराधना को जीवन में श्रेयस्कर बताते हुए मुनि श्री उत्कर्ष सागर महाराज ने कहा संयमित जीवन में ही सिद्धों की आराधना कल्याणकारी होती है। बिना संयम के जीवन को बिना ब्रेक की गाडी बताते हुए मुनि श्री ने कहा हमें अपने जीवन को सवारना चाहिए। सिद्धों की आराधना में श्रावक की भावना रहती है कि हम भी उनके गुणों को प्राप्त कर सकें। आज प्रातकाल पार्श्वनाथ जैन अटामंदिर में संत शिरोमणि आचार्य श्रेष्ठ विद्यासागर महाराज के आर्शीवाद से नगर में संचालित दस पाठशालाओ के 20 साल पूर्ण होने पर चर्या शिरोमणि पट्टाचार्य विशुद्धसागर महाराज के प्रभावक शिष्य मुनि श्री सौम्यसागर महाराज एवं मुनि श्री जयेन्द्र सागर महाराज के सानिध्य में बीस साल बेमिशाला पाठशाला महोत्सव के दौरान धर्म सभा को सम्बोधित कर रहे थे। प्रातःकाल विधानाचार्य ब्रहमचारी मनोज भैया एवं मधुर समैया के मार्गदर्शन में सिद्धचक्र महामण्डल विधान में प्रातःकाल पूजन अभिषेक शान्तिधारा के उपरान्त इन्द्र इन्द्राणियों द्वारा भक्ति पूर्वक अर्घ समर्पित किए। विधान का समापन आज विश्वशान्ति महायज्ञ हवन के साथ सम्पन्न होगा।
सायंकाल पाठशाला के बच्चों एवं उनको निस्वार्थ धार्मिक एवं संस्कारों का शिक्षण देने वाली दीदीयों द्वारा आकर्षक प्रस्तुति की गई जिसमें अभिनंदनोदय तीर्थ अटा मंदिर पाठशाला, जैन बड़ा मंदिर, जैन नया मंदिर इलाइट मंदिर पाठशाला, शान्तिनाथ मंदिर पाठशाला, सिविल लाइन पाठशाला, वाहुवलिनगर पाठशाला के बच्चों ने नुक्कड नाटक, भक्तिनृत्य, क्लासिकल ग्रुप डांस के माध्यम से अपनी प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम में पंचायत ने निस्वार्थ सेवा करने वाली दीदियों को 20 साल बेमिशाल कार्यकम में सम्मानित किया। इस दौरान बच्चों ने कहा पाठशालाओं में हमें धर्म के साथ साथ संस्कारों की किशा मिलती है और सास्कृतिक प्रतिभा निखारने का मौका मिलता है।

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