Home EDUCATION बी.टेक. (खाद्य प्रौद्योगिकी) 4 वर्षीय पाठयक्रम- एक नया अवसर

बी.टेक. (खाद्य प्रौद्योगिकी) 4 वर्षीय पाठयक्रम- एक नया अवसर

157
0

(विश्व परिवार)-विगत कुछ वर्षो में खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी से संबंधित उपक्रम एक बडे एवं विस्तृत रूप में सामने आये हैं। सर्वेक्षण के द्वारा यह मालूम किया गया है कि प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होने से एवं बदलते समय के अनुसार व्यस्त जिन्दगी में शहरी लोगो की जीवन शैली में प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों की मांग में लगातार बढोतरी हो रही है। इस प्रकार की स्थिति से हमारा प्रदेश भी अछुता नही है। छत्तीसगढ प्रदेश में विभिन्न फसलों की, सब्जियों की, फलों की एवं लघु अनाज एवं वनोपज की प्रचुरता को देखते हुए इस प्रदेश में भी खाद्य प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रसंस्करण की तकनिकों का उपयोग करते हुए अनेक प्रकार के डब्बा बंद, प्रसंस्कृत उत्पाद, इंस्टैन्ट/रेडी टू इट प्रकार के खाद्य व्यंजनों का निर्माण आसानी से किया जा सकता हैं। समय की कमी से लोग आज कल डब्बा बंद, प्रसंस्कृत उत्पाद, इंस्टैन्ट/रेडी टू इट प्रकार के खाद्य व्यंजनों को वरीयता दे रहें हैं। फसल और फल सब्जियों का उत्पादन लगातार बढता जा रहा हैं एवं उनकी खपत उस मौसम में न होने के कारण अधिकांश समय कृषकों को हानी की संभावना होती हैं। ऐसी स्थिति से बचने के लिये इन फसलों, फल, सब्जियों में खाद्य प्रौद्योगिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण की तकनिकों का उपयोग करके इनसे मुल्यवर्धित उत्पादों का निर्माण किया जा सकता हैं जिसे की गैर मौसमी समयकाल में आसानी से उपयोग किया जा सकता है एवं ऐसा करने से कृषक समुदाय को आर्थिक लाभ आवश्यक रूप से प्राप्त होगा। इन फसलों से मुल्यवर्धित पदार्थ बनाने से प्रदेश के किसानो, युवाओं, महिला स्व सहायता समुहों को रोजगार प्राप्त करने में भी आसानी होगी। इसका आशय यह है कि खाद्य प्रौद्योगिकी आधारित प्रसंस्करण के कार्य भविष्य के लिये अत्यंत उपयोगी हैं एवं इस क्षेत्र के बहुमुखी विकास हेतु मानव संसाधन का विकास करना अति आवश्यक हैं। अन्य प्रदेशों ने इस विषय की उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए अपने-अपने प्रदेशों जैसे महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटका, तमिलनाडु, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश आदि प्रदेशों में या तो अनुसंधान के केन्द्र प्रारंभ किये गये या बी. टेक. (खाद्य प्रौद्योगिकी) के शैक्षणिक संस्थान प्रारंभ किये गये।

छत्तीसगढ प्रदेश में भी खाद्य प्रौद्योगिकी के महत्व को स्वीकार करते हुए प्रदेश शासन ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, रायपुर में वर्ष 2020 से प्रारंभ किया हैं एवं इस 4 वर्षीय पाठयक्रम के पश्चात बी. टेक.(फुड टेक्नालॉजी) की उपाधि प्रदान की जावेगी। इसका सिलेबस भारतीय भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आई. सी. ए. आर.) नई दिल्ली द्वारा अनुमोदित हैं। इस बी. टेक.(फुड टेक्नालाजी) कोर्स की 36 सीटों में प्रवेश हेतु विद्यार्थी को गणित, भौतिक, रसायन विषय के साथ 12 वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य हैं तथा व्यापम छत्तीसगढ द्वारा आयोजित पी.ई.टी. की परीक्षा में प्रावीणता के आधार पर प्रवेश दिया जाता हैं। वर्ष 2024-25 में इस पाठयक्रम में प्रवेश का विज्ञापन शीघ्र ही जारी किया जावेगा एवं अधिक जानकारी हेतु www.igkv.ac.in का भ्रमण करें। प्रवेश संबंधित जानकारी हेतु 9425525249 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं। इस 4 वर्षीय पाठयक्रम के दौरान विद्यार्थीयों को खाद्य अभियांत्रिकी, खाद्य प्रौद्योगिकी, खाद्य रसायन, खाद्य माइक्रोबायोलाजी, खाद्य व्यापार प्रबंधन, खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता जाॅच से संबंधित विषयों को महत्व के अनुसार शिक्षण एवं प्रायोगिक कार्य हेतु अलग-अलग घण्टे निर्धारित किये गये हैं। अंतिम वर्ष के विद्यार्थीयों को खाद्य प्रौद्योगिकी से संबंधित संस्थानों/केन्द्रों/ इंडस्टीज जैसे बेकरी उद्योग, रेडी-टू- ईट फूड, विभिन्न प्रकार के बेवरेजेज, खाद्यान्नों की पिसाई यूनिट, खाद्य तेल से संबंधित उद्योग, फल और सब्जी के विभिन्न मुल्यवर्धित पदार्थ तथा इनकी पैकेजिंग, दुग्ध एवं दुग्ध-निर्मित उत्पाद, अनाज प्रसंस्करण, कन्फेक्शनरी, चॉकलेट, सोया-निर्मित उत्पाद, नमकीन, स्नैक्स, चिप्स, बिस्कुट, तरह तरह के मसाला उद्योग में प्रशिक्षण हेतु अनुलग्न किया जावेगा एवं संतोषजनक प्रशिक्षण के पश्चात विद्यार्थी उपाधी हेतु योग्य होगा। बी.टेक (फुड टेक्नालॉजी) स्नातक खाद्य प्रसंस्करण/खाद्य प्रौद्योगिकी संबंधित क्षेत्र के शासकीय/निजी संस्थान/उपक्रम में रोजगार प्राप्त कर सकते हैं तथा देश/विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों/संस्थानों में उच्च अध्ययन हेतु प्रवेश ले सकते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here