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CBSE बोर्ड कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए लाएगी ओपन बुक परीक्षा, पायलट प्रोजेक्ट का ट्रायल इसी साल

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नई दिल्ली (विश्व परिवार): केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने पिछले साल सीबीएसई बोर्ड परीक्षा और रिजल्टों में कई तरह के बदलाव की घोषणा की थी. वहीं साल के शुरुआत में ही सीबीएसई ने ओपन बुक एग्जामिनेशन का पायलट प्रोजेक्ट का प्रस्ताव रख बड़ा धमाका किया है. सीबीएसई पिछले साल जारी नए नेशनल कैरिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) सिफारिशों के अनुरूप, कक्षा 9वीं से 12वीं तक के सभी छात्रों के लिए ओपन बुक परीक्षा (OBE) पर विचार कर रहा है. सीबीएसई ने इस साल के अंत में कक्षा 9वीं और 10वीं के लिए अंग्रेजी, गणित और विज्ञान और कक्षा 11वीं और 12वीं के लिए अंग्रेजी, गणित और जीवविज्ञान के लिए कुछ स्कूलों में ओपन बुक परीक्षा करवाने का प्रस्ताव दिया है. यह हितधारक की प्रतिक्रिया और इसमें छात्रों द्वारा लिए गए समय को जानने के लिए प्रस्तावित किया गया है.

पहले भी हो चुका यह प्रयोग

सीबीएससी ओपन बुक परीक्षा पद्धित नई नहीं है, सीबीएसई ने साल 2014-15 से 2016-17 तक तीन वर्षों के लिए कक्षा 9वीं और 11वीं की परीक्षाओं के लिए ओपन टेक्स्ट आधारित मूल्यांकन (ओटीबीए) का प्रयोग किया था, हालांकि तब छात्रों और शिक्षाविदों से नकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली थीं.

कोविड काल में इसी तर्ज पर परीक्षा 

सीबीएसई ओपन बुक एग्जाम पायलट प्रोजेक्ट को इस साल नवंबर-दिसंबर के महीने में ट्रायल करेगी. अगर यह ट्रायल सफल रहता है तो सीबीएसई इस पर फैसला करेगा कि कक्षा 9वीं से 12वीं के छात्रों के लिए मूल्यांकन के इस रूप को उसके सभी स्कूलों में अपनाया जाना चाहिए या नहीं. सीबीएसई ने इस संबंध में दिल्ली विश्वविद्यालय से परामर्श करने का भी फैसला किया है. आपको बता दें कि कोविड काल में डीयू सहित कई अन्य यूनिवर्सिटी द्वारा ओपन बुक परीक्षा ली गई थी, लेकिन इसका छात्रों द्वारा जमकर विरोध किया गया था. इतना ही छात्रों ने इसे लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. परीक्षा में छात्रों को अपनी उत्तर पुस्तिकाएं, गैजेट, अध्ययन सामग्री और सैनिटाइज़र लाने के लिए कहा गया था. सीबीएसई ओपन बुक एग्जाम पायलट प्रोजेक्ट को इस साल नवंबर-दिसंबर के महीने में ट्रायल करेगी. अगर यह ट्रायल सफल रहता है तो सीबीएसई इस पर फैसला करेगा कि कक्षा 9वीं से 12वीं के छात्रों के लिए मूल्यांकन के इस रूप को उसके सभी स्कूलों में अपनाया जाना चाहिए या नहीं. सीबीएसई ने इस संबंध में दिल्ली विश्वविद्यालय से परामर्श करने का भी फैसला किया है. आपको बता दें कि कोविड काल में डीयू सहित कई अन्य यूनिवर्सिटी द्वारा ओपन बुक परीक्षा ली गई थी, लेकिन इसका छात्रों द्वारा जमकर विरोध किया गया था. इतना ही छात्रों ने इसे लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. परीक्षा में छात्रों को अपनी उत्तर पुस्तिकाएं, गैजेट, अध्ययन सामग्री और सैनिटाइज़र लाने के लिए कहा गया था.

ओपन बुक परीक्षा क्या है?

ओपन बुक परीक्षा एक ऐसी परीक्षा में जिसमें छात्रों को परीक्षा हॉल में अपनी किताबें, नोट्स और अन्य पाठ्य सामाग्री को लेकर जाने की पूरी आजादी है. इस परीक्षा में बच्चों के किताबी ज्ञान का नहीं बल्कि उनके बौद्धिक क्षमता, समझ और उच्च-स्तरीय सोच कौशल का मूल्यांकन किया जाएगा.

रटने से मिलेगा छुटकारा

सीबीएसई ओपन बुक एग्जाम आधारित मूल्यांकन के तहत, छात्रों को चार महीने पहले टेक्सट मैटेरियल प्रदान किए जाएंगे और उन्हें परीक्षा के दौरान केस स्टडीज ले जाने की अनुमति दी जाएगी. छात्रों को इस परीक्षा के दौरान प्रश्नों का उत्तर देते समय अपने नोट्स या पाठ्यपुस्तकों को देखने की अनुमति होगी. सीबीएसई के एग्जाम लेने की इस पद्धित से छात्रों को रटने से छुटकारा मिलेगा और उनकी बैद्धिक क्षमता का विकास होगा.

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