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” श्रुत की सेवा से मिलती है मुक्ति की मेवा”

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” श्रुत की सेवा से मिलती है मुक्ति की मेवा”
अभिनंदनीय व्यक्तित्व
डा० रेणु जैन सहारनपुर
भारत गौरव सम्मान से सम्मानित
श्रुत आराधिका ” की उपाधि से अलंकृत
श्रुत सेविका” व ‘ सर्वश्रेष्ठ सामाजिक कार्यकर्त्ता भी घोषित

✍ पारस जैन “पार्श्वमणि” पत्रकार कोटा की कलम से

सहारनपुर(विश्व परिवार)– ” जिनवाणी सुरक्षा एवं सज्जा अभियान ” की संस्थापिका डा० रेणु जैन ( अध्यक्षा श्री दि० जैन महिला समाज , सहारनपुर उ० प्र० ) ने जिनवाणी मॉ के प्रति भक्ति भावना से अभिभूत होकर देश व देशान्तर में सहारनपुर के एक दि० जिनालय से प्रारम्भ करके 25 जिनालयों तक तथा फिर U.S.A.,U.K.,London व सिंगापुर सहित भारतवर्ष के 3191 दि० जैन जिनालयों , तीर्थ क्षेत्र , अतिशय क्षेत्र एवं सिद्ध क्षेत्रों की संयोजिका मनोनीत कर जिनवाणी मॉ के प्रति सेवा भावना सबके हृदय मे जागृत करने का एक अविस्मरणीय कार्य किया।इसके लिए आपका जितना भी सम्मान किया जाए कम ही होगा वो शब्दो में नहीं लिखा जा सकता। डा० रेणु जैन जी से हुई एक स्नेह भेट में राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार को बताया कि वैद्यराज श्री सुशील कुमार जैन आरोग्य भारती , जयपुर की पावन प्रेरणा से ही मैं देव शास्त्र गुरु से सम्बन्धित धर्म प्रभावना के कार्यो में संलग्न हूँ तथा यह भी बताया कि उन्होंने प्रण किया है कि जब तक देश व देशान्तर के प्रत्येक दि० जिनालय की मॉ जिनवाणी सुरक्षित, सज्जित व व्यवस्थित नही होगी तब तक उनके इस पथ पर बढ़ते कदम रुकेंगे नहीं। उन्हें “London Book Of World Records ” द्वारा ” श्रुत आराधिका ” की उपाधि से तथा “India Proud Book Of Records ” द्वारा ” भारत गौरव सम्मान ” एवं ” श्रुत सेविका” व ‘ सर्वश्रेष्ठ सामाजिक कार्यकर्त्ता ‘की उपाधि से तथा आर्यिकारत्न 105 पुनीत चैतन्यमति माता जी द्वारा ” श्राविकारत्न ” आदि की उपाधि से सम्मानित किया गया है।
प्रतिवर्ष ‘ श्रुत पंचमी पर्व ‘ पर वे ‘ अखिल भारतीय जिन वाणी सज्जा प्रतियोगिता ‘ आयोजित कर सम्पूर्ण भारतवर्ष की विजेता संयोजिकाओ को अपनी ‘ भूषण स्वरूप मुकेश कुमार जैन चैरिटेबल ट्रस्ट मेरठ ‘ के सौजन्य से शील्डे प्रेषित कर सम्मानित करती हैं। अपने पतिदेव श्री विनय कुमार जैन के अनुपम सहयोग से वे जिनवाणी सज्जा के हस्त निर्मित सामान के पैकिट बनाकर सभी तीर्थ क्षेत्रों व जिनालयो की संयोजिकाओं को भेंट स्वरूप प्रदानकर उत्साहित करती हैं । उनके द्वारा सम्पादित व प्रकाशित “श्रुतधारा ” व ” सल्लेखना दर्शन ” को पढ़कर जन जन लाभान्वित हुआ । श्री दि० जैन महिला सल्लेखना सेवा मण्डल, सहारनपुर की संस्थापिका अध्यक्षा के रूप में एक मुख्य शाखा एवं 17 उपशाखाएं बनाकर तथा प्रत्येक उपशाखा की एक अध्यक्षा नियुक्त कर अन्तिम समय में जीव को सम्बोध कर, त्याग कराकर, उसके भावो को धर्ममय बनाने का कार्य भी उनका अति सराहनीय है।
मैं ” पारस जैन पार्श्वमणि ” भारतवर्ष के सम्पूर्ण जैन समाज से आत्मीय निवेदन करता हूँ कि जिनवाणी मॉ के प्रति सेवा भावना से ओत प्रोत मधुर भाषिणी डा० रेणु जैन जी के साथ जो दि ० जैन जिनालय , तीर्थ क्षेत्र , अतिशय व सिद्ध क्षेत्र आदि अभी तक नही जुड़ पाये हैं वहाँ से सम्बन्धित बहने उनके मो० न० 7060164200 पर उनसे सम्पर्क करके, मॉ जिनवाणी के सेवा के परम पुनीत कार्य को अनन्त ऊँचाइयों को प्राप्त कराने में अपना सकल सक्रिय अतुलनीय अविस्मरणीय सहयोग प्रदान करते हुये महान पुण्यार्जन करें। इसी मंगलमय भावनाओं के साथ आपका अपना

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