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2 जून को मुनिसंघ की मंगल अगवानी 3 जून से 8 जून तक श्री धर्मनाथ दि. जैन जिनविंवपंचकल्याणक महामहोत्सव

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विदिशा(विश्व परिवार) | “जो कुछ भी तुम्हारे पास है वह आपका नहीं,यह तो कर्म की धरोहर है,जब तक कर्म चाहेगा तब तक वह तुम्हारे पास है, यदि तुम इसका सदुपयोग करोगे तो यह अनुकूल संयोग साथ रहेंगे यदि दुरुपयोग करोगे तो वह आपसे दूर होते चले जाऐंगे” उपरोक्त उदगार मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने विदिशा की ओर मंगल विहार करते हुये ग्राम अटारी खैजड़ा प्रवास के दौरान व्यक्त किये उन्होंने कहा कि भिखारी का रौल करता हुआ कोई हीरो क्या अपने आपको भिखारी मानता है? ये जो कुछ भी आपको दिख रहा है यह रियल नहीं यह तो मात्र कर्म जन्य संयोग है इस रोल को कभी रियल मत मानो कभी सुख है तो कभी दुःख है जो भी है वह कर्म की प्रकृति है। मुनि श्री ने कहा कि आज चार सबाल अपने आपसे पूंछना “में कौन हुं? मेरा क्या है?में क्या कर रहा हूं? मुझे क्या करना चाहिये? ये चार सबाल शंकासमाधान के लिये नहीं है वल्कि अपने आपसे पूंछने के लिये है?पहला सबाल”में कौन हूं यह परिचय मत दो कि में फलाना हूंं क्या तुम कल भी थे? अपने आपको पहचानने का प्रयास करो, जिस दिन तुम्हें अपने स्वरूप का वोध हो जाऐगा उसी दिन से तुम्हारी प्रवत्तियों में अपने आप सहजता आ जाऐगी” “में जिस रुप में हुं और वह रियल नहीं है एक रोल है” जैसे किसी पिक्चर का हीरो जो रोल करता है वह कब तक रहता है जब तक वह उस पिक्चर को कर रहा है उसके पश्चात उसे अपनी रियल स्थिति में आना ही पड़ता है,उसी प्रकार जो रियल में जो में हुं उसका एक प्रदेश भी इधर से उधर नहीं हो सकता उसका न तो उत्थान है न ही पतन, न उन्नति है न अवनति न आगा है न पीछा है, उसको खोना है न पाना है, वह तो शास्वत है, कठनाई कब खड़ी होती है जब आप लोग रोल को रियल मान लेते है अगर कोई अमीर है तो उसने अमीर का अहंकार पाल लिया, किसी को ज्ञान हो गया तो उसे ज्ञान का अहंकार, किसी के पास रुप है तो रुप का अहंकार, अथवा कोई गरीब या वुद्धि से कमजोर है तो अपने अंदर हीन भावना का भ्रम पाल लेते हो ये जो कुछ भी दिख रहा है यह रियल नहीं यह तो कर्म जन्य संयोग है इसे रियल मत मानो सुख और दुःख कर्म जनित प्रकृति है, ‘में एक शुद्ध ज्ञान दर्शन चेतन आत्मा हूं” मुनि श्री ने पूंछा कि आप किसे अपना मानते हो जो आपके अधिकार में है उसे या किसी दूसरे की धन संपत्ति? एक बात गांठ बांध कर रख लो कि “जो कुछ भी आपके पास है वह आपका नहीं है यह तो कर्म की धरोहर है कर्म जब तक चाहेगा तब तक आपके पास रखेगा कर्म का सदुपयोग करोगे तो अनुकूल संयोग आपके साथ रहेंगे और यदि दुरुपयोग करोगे तो वह आपसे दूर होते चले जाऐंगे” जैन समाज के प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया मुनि संघ का मंगल विहार चल रहा है 31 मई को अतिशय क्षेत्र ग्राम हिरनई में प्रातःकाल प्रवचन सभा आहार चर्या एवं सांयकाल 6 बजे से शंकासमाधान का आयोजन किया गया है। हिरनई परिवार के शैलेंद्र बांसल राहुल बांसल राहिल बांसल ने समस्त जैन समाज से हिरनई ग्राम में पधारने की अपील की है एवं सभी के लिये दौनों टाईम भोजन व्यवस्था की गयी है।अटारी खैजड़ा में मुनि श्री प्रमाण सागर जी को पड़गाहन कर आहार कराने का सौभाग्य हृदयमोहन पंकज कुमार जैन परिवार को मिला वंही मुनि श्री निर्वेग सागर जी महाराज को श्री मति सरिता डा.दिनेश जैन परिवार तथा श्री मति बबली धर्मेन्द्र जैन मुनि श्री संधान सागर जी महाराज को अनिल जैन मसाला तथा गुरुभक्त महिलामंडल परिवार को मिला इस अवसर पर बड़ी संख्या में विदिशा नगर के श्रद्धालुओं ने भी आहार देकर पुण्यलाभ अर्जित किया।

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