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केवली जिनेंद्र भगवान द्वारा प्रतिपादित जिनागम ही प्रवचन होता है -आचार्य श्री वर्धमान सागर जी

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आचार्य संघ सानिध्य में भगवान पारसनाथ का निर्वाणलाडू चढ़ाया जाएगा तथा मुकुट सप्तमी पर भव्य जनेश्वरी दीक्षा आचार्य श्री द्वारा दी जावेगी।

पारसोला(विश्व परिवार)। पंचम पट्टाघीश वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज 31 साधुओं सहित पारसोला सन्मति भवन में विराजित है ।11 अगस्त को आचार्य संघ के सानिध्य में 1008 श्री पार्श्वनाथ जिनालय में तथा सन्मति भवन सहित नगर के सभी जिनालयों में भगवान पारसनाथ का निर्वाण लाडु चढ़ाया जाएगा। पारसनाथ चालीसा के अंतर्गत 1008 निर्वाण लाडू तथा 23 किलो का निर्वाण लाडूभी चढ़ाया जाएंगे ।11 अगस्त मुकुट सप्तमी पर आचार्य श्री द्वारा भव्य जनेश्वरी दीक्षा दी जावेगी रात्रि को सांस्कृतिक कार्यक्रम अंतर्गत कमठ का उपसर्ग नाटिका का प्रस्तुतीकरण होगा।
आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने धर्मसभा प्रवचन में बताया कि प्रवचन का निवेदन समाज ने किया है प्रवचन से आशय से आगम जो कि केवली भगवान द्वारा प्रतिपादित है उसका उपदेश जिनागम दिया जाता है। आचार्य श्री ने प्रवचन में बताया कि ऋषभदेव के पिता नाभिराय के समय भोगभूमि का काल चल रहा था भोगभूमि में बिना पुरुषार्थ किए कल्पवृक्ष से निवासियों को वांछित सामग्री प्राप्त हो जाती थी उन्हें कोई कार्य पुरुषार्थ नहीं करना पड़ता था। भोगभूमि समाप्त होने के बाद कर्मभूमि का प्रारंभ हुआ जनता में भूखमरी बढ़ गई तब राजा नाभिराय के पुत्र श्री ऋषभदेव ने प्रजा को 6 आवश्यक कार्य करने का उपदेश दिया असि ,मसि, कृषि शिल्प, कला और वाणिज्य 6 विद्या का ज्ञान समाज को दिया। अपने 100 पुत्रों को भी इंजीनियर ,डॉक्टर आदि विद्या का ज्ञान दिया। आचार्य श्री ने प्रवचन में बताया कि भरत चक्रवर्ती राजा हुए 6 खंड पर उन्होंने विजय प्राप्त की चक्रवर्ती को 14 रत्न और 9 निधि की प्राप्ति होती है जिसकी रक्षा देवता करते हैं। आचार्य श्री ने बताया कि केवली भगवान गणघरो की जिनवाणी जब ताड़ पत्रों पर आचार्य द्वारा लिखी गई थी वह दीमको के माध्यम से नष्ट हो रही थी तब आचार्य शांतिसागर जी ने प्रेरणा देकर बड़े-बड़े ग्रन्थों जिनवाणी को ताम्र पत्र पर अंकित कराया आज भी वह ग्रंथ फलटण, मुंबई और आरा नगर में विराजित है। जयंतीलाल कोठारी अध्यक्ष दशा हूमड़ दिगंबर जैन समाज तथा चातुर्मास एवं आचार्य शताब्दी महोत्सव कमेटी के ऋषभ कुमार पचौरी ने बताया कि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी द्वारा आर्यिका श्री समर्पित मतिजी की ग्रहस्थ अवस्था की मातेश्वरी पानीबाई निवासी कूण नगर को जेनेश्वरी दीक्षा 11 अगस्त को दी जावेगी। आचार्य श्री वर्धमान सागर जी के सानिध्य में 11 अगस्त को 1008 पारसनाथ भगवान का निर्वाण मोक्ष कल्याणक भक्ति भाव के साथ मनाया जाएगा ।1008 श्री पारसनाथ जिनालय में 23 द्रव्यों से श्री जी का पंचामृत अभिषेक कराया जाएगा इसके पश्चात सन्मति भवन में कृत्रिम सम्मेद शेखर की रचना की गई है उसे पर श्री जी के अभिषेक के पश्चात 23 किलो का निर्वाण लाडू भगवान को चढ़ाया जाएगा। पारसनाथ चालीसा के माध्यम से 1008 निर्वाण लाडू भी चढ़ाएं जाएंगे। रात्रि को भगवान पारसनाथ पर कमठ के जीव ने जो उपसर्ग किया था उसे नाटिका के माध्यम से दिखाया जाएगा।
10 अगस्त को दीक्षाथी ब्रह्मचारिणी पानी देवी द्वारा गणघरवलय विधान का पूजन किया गया। रात्रि में दीक्षार्थी की गोद भरी गई।

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