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नगर निगम का कमाल : महापौर के वार्ड में डामरीकरण, शहर की सडक़ें खस्ताहाल

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कोरबा(विश्व परिवार)। एक ओर शहर की प्रमुख सडक़ें खस्ताहाल हैं और आम नागरिक सडक़ चलते धूल फांकने के लिए मजबूर हैं, नगर निगम का कमाल देखिए कि महापौर के पम्प हाउस वार्ड में डामरीकरण का कार्य कराया जा रहा है।
कोरबा में कोलतार की सडक़ निर्माण में घोटाला यानी घटिया निर्माण का इतिहास पुराना है। पिछले एक दशक में जितनी बार कोरबा की सडक़ों का डामरीकरण किया गया, उतनी बार चंद दिनों के अंतराल में पहली ही बारिश में सडक़ें उखड़ गईं। नगर निगम हमेशा सफाई देता रहा कि उखड़ी सडक़ों का रखरखाव ठेकेदार करेगा, परन्तु कभी ऐसा नहीं हुआ। कागजों में हुआ होगा, तो यह नगर निगम ही बता सकता है।
बहरहाल, इस वर्ष बारिश में एक बार फिर शहर की सडक़ें उखड़ गईं। नगर निगम कार्यालय से लेकर कोसाबाड़ी, घण्टाघर, बुधवारी, सी एस ई बी चैक, आई टी आई से बुधवारी वी आई पी रोड, सी एस ई बी चैक से सीतामणी तक मुख्यमार्ग की पूरी सडक़ उखड़ गई और जगह जगह बड़े बड़े गड्ढे हो गए। आम लोगों का सडक़ पर चलना कठिन हो गया। राहगीरों को गर्दो- गुबार के बीच सडक़ पर चलने, हिचकोले खाने, आखों में जीरा गिट्टी की चोट खाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
दूसरी ओर नगर पालिक निगम कोरबा का कमाल देखिए कि शहर की सडक़ों की मरम्मत करने की जगह महापौर के चुनाव क्षेत्र पम्प हाउस में सडक़ों का डामरीकरण कराया जा रहा है। जबकि पम्प हाउस की सडक़ें नगर निगम की नहीं हैं। यह कालोनी और यहां की सडक़ें एस ई सी एल की हैं। यहां की सडक़ों के रखरखाव का दायित्व एस ई सी एल प्रबन्धन का है। मगर महापौर का चुनावी वार्ड है इसलिए शहर की सडक़ों को छोडक़र पम्प हाउस की एस ई सी एल की सडक़ों का डामरीकरण ज्यादा महत्वपूर्ण है?
इस बीच खबर मिली है कि नगर निगम ने सीमेंट कांक्रीट से शहर की सडक़ों के गड्ढे भरने के लिए 40 लाख रुपये का टेंडर किया है। कटघोरा की मेसर्स जय क्रसर इंडस्ट्रीज को वर्क आर्डर भी हो चुका है। ट्रांसपोर्ट नगर में कुछ गड्ढे सीमेंट कांक्रीट से भरे भी गए हैं। लेकिन न तो जो काम हुआ है, वह चालीस लाख का है और ना ही सडक़ों को समतल किया जा सका है। ऐसा प्रतीत होता है कि नगर निगम चुनाव के करीब आ चुके मौसम में 40 लाख का कथित टेंडर केवल घोटाला करने के लिए जारी किया गया है।
लोगों का कहना है कि पम्प हाउस वार्ड में जो डामरीकरण किया जा रहा है, उसकी जगह शहर की सडक़ों को सीलकोट कर देते, तो लाखों लोगों को लाभ मिलता। वैसे भी डामर की सडक़ की मरम्मत सीमेंट कंक्रीट से करना बेतुका और शासकीय धन का अपव्यय ही कहा जायेगा। लेकिन नगर निगम कोरबा अपने ऐसे ही करतबों के लिए जाना जाता है। आश्चर्य की बात तो यह है कि आई ए एस निगम आयुक्त को भी ऐसे फैसलों में कोई खामी नजर नहीं आती?

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