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स्वाध्याय से धर्म को समझा जाता है धर्म ही शरण है धर्म से, स्वाध्याय से ज्ञान में वृद्धि होती है – आचार्य श्री वर्धमान सागर जी

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पारसोला(विश्व परिवार)। आचार्य श्री वर्धमान सागर की सन्मति भवन में विराजित है आज आयोजित धर्म सभा में आचार्य श्री ने अपनी देशना में बताया कि 19,20 और 21वीं सदी प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर जी के नाम से जानी जाएगी क्योंकि सातगौड़ा जी को धर्ममय माता के संस्कार प्राप्त हुए जब सात गौड़ा माताजी के गर्भ में आए तब माता की इच्छा 108 कमल पुष्पों से पूजन करने की हुई। संतान को धार्मिक संस्कार देने में माता-पिता का योगदान होता है और ऐसे मानव सुखी होते हैं माता सत्यवती नाम के अनुरूप सत्यवान थी ,और पिता भीम गोंडा जी भी बलशाली शक्तिशाली थे। हमने चातुर्मास स्थापना के तीन महीने पूर्ण पारसोला वर्षायोग की घोषणा की थी और यह चातुर्मास और आचार्य पदप्रतिष्ठापन शताब्दी महोत्सव इस धरती का पुण्य है क्योंकि यहां पर प्रथमाचार्य श्री शांति सागर जी महाराज ने भी दो दिन का प्रवास पारसोला में किया था। आचार्य पद प्रतिष्ठापना महोत्सव मुनि कुल के पितामह का कार्यक्रम है, चारित्र चक्रवर्ती एकमात्र शांति सागर जी महाराज ही है और एक ही रहेंगे क्योंकि उन्होंने चारित्र के 6 खंडो पर विजय प्राप्त कर जीवन को प्रयोगशाला बनाया उन्होंने धर्म, मंदिर, जिनवाणी ,संस्कृति का संरक्षण कर सामाजिक कुरीतियों को दूर करने की प्रेरणा दी। आचार्य श्री ने बताया कि मिथ्यात्व अज्ञानता और समिचिन ज्ञान के अभाव में होता है ।और संसार में इसी कारण प्राणी भ्रमण कर रहे हैं शरीर और आत्मा को आप लोग एक मानते हैं जबकि शरीर पुदगल है और आत्मा द्रव्य है शरीर और आत्मा पृथक पृथक भिन्न है आत्मा अजर अमर है आचार्य शांति सागर जी ने उपसर्ग को निर्भय होकर समता और आस्था से जीवन में सहन किया। आचार्य श्री ने बताया कि धर्म ही शरण है स्वाध्याय से धर्म को समझा जाता है और इससे ज्ञान में वृद्धि होती है। ब्रह्मचारी गज्जू भैया एवं राजेश पंचोलिया अनुसार आचार्य प्रतिस्थापन शताब्दी महोत्सव में शामिल होने के लिए आचार्य श्री के शिष्य मुनि अपूर्व सागर अर्पित सागर जी सलूंबर से बिहार कर आज प्रातः 16 पहुंचे समाज ने एवं साधु संघ ने उनकी अगवानी की ऋषभ पचोरी , जयंतीलाल कोठारी,प्रवीण जैन अनुसार धर्म सभा में आचार्य शांति सागर जी महाराज के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्वलन पंडित हंसमुखजी जी शास्त्री घरियाबाद एवं घरियाबाद, सलूंबर से आए अतिथियों एवं समिति के पदाधिकारी ने कर आचार्य श्री के चरण प्रक्षालन किया ।महिला मंडल द्वारा जिनवाणी भेंट की गई। आचार्य श्री के प्रवचन के पूर्व आर्यिका देशनामति एवं मुनि अपूर्व सागर जी ने आचार्य श्री का गुणानुवाद किया। आगामी 11 अक्टूबर को मुनि श्री पुण्य सागर जी का 18 साधुओं सहित पारसोलाक्षभव्य मंगल प्रवेश होगा। सुमतिधाम इंदौर के प्रमुख ट्रस्टी मनीष गोघा एवं श्रीमती सपना गोघा ने ब्रह्मचारी पीयूष भैया तथा प्रसिद्ध उद्योगपति हंसमुख गांधी इंदौर के साथ पारसोला पहुंचकर आचार्य विशुद्ध सागर जी का पट्टाचार्य कार्यक्रम में आचार्य वर्धमान सागर जी को संघ सहित पधारने हेतु सविनय आमंत्रण कर श्रीफल भेंट किया। स्थानीय समाज द्वारा इंदौर से पधारे अतिथियों का शाल श्रीफल के साथ सम्मान किया।

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